UPI के नए नियम : नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) 1 अगस्त से UPI सिस्टम में बड़े बदलाव लागू करने जा रहा है। ये नए नियम बैंकों और पेमेंट ऐप्स (जैसे Paytm, PhonePe, Google Pay) के लिए एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) उपयोग को और सख्त करेंगे। इनका मकसद UPI को ज्यादा सुरक्षित और तेज बनाना है, लेकिन कुछ यूजर्स को इनसे परेशानी भी हो सकती है। खासकर वे लोग जो बार-बार बैलेंस चेक करते हैं या ऑटोपे का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें दिक्कत हो सकती है। आइए UPI के इन नए नियमों, उनकी शर्तों, और असर को समझते हैं।
UPI के नए नियम क्या हैं?
- बैलेंस चेक पर लिमिट: प्रति ऐप 50 बार
अब यूजर्स किसी भी UPI ऐप पर एक दिन में सिर्फ 50 बार अपना बैंक बैलेंस चेक कर सकेंगे। अगर आप दो UPI ऐप्स (जैसे PhonePe और Google Pay) यूज करते हैं, तो दोनों पर मिलाकर 100 बार बैलेंस चेक कर सकते हैं। NPCI ने बैंकों को हर ट्रांजैक्शन के बाद अपडेटेड बैलेंस भेजने का भी आदेश दिया है। यह नियम बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत वालों के लिए परेशानी बन सकता है। - पेमेंट स्टेटस जांच पर पाबंदी
नए नियमों के तहत, पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स (PSPs) को ट्रांजैक्शन स्टेटस चेक करने के लिए 90 सेकंड का इंतजार करना होगा। यानी, ट्रांजैक्शन शुरू होने के बाद पहली API कॉल 90 सेकंड बाद ही की जा सकेगी। एक ट्रांजैक्शन के स्टेटस को 2 घंटे में सिर्फ 3 बार चेक किया जा सकेगा। अगर कुछ खास एरर कोड मिलते हैं, तो बैंकों को ट्रांजैक्शन को फेल मानना होगा, ताकि बार-बार स्टेटस चेक न करना पड़े। इससे सिस्टम पर लोड कम होगा, लेकिन यूजर्स को स्टेटस जानने में देरी हो सकती है। - लिंक्ड अकाउंट चेक: प्रति ऐप 25 बार
अब आप एक UPI ऐप पर दिन में सिर्फ 25 बार यह चेक कर सकेंगे कि आपके मोबाइल नंबर से कौन-कौन से बैंक खाते लिंक हैं। यह रिक्वेस्ट तभी काम करेगी, जब आप बैंक चुनकर अप्रूवल देंगे। अगर कोई रिक्वेस्ट फेल होती है, तो दोबारा कोशिश के लिए यूजर की साफ सहमति जरूरी होगी। यह नियम उन यूजर्स को प्रभावित करेगा जो बार-बार अकाउंट लिस्ट चेक करते हैं। - बैंकों और ऐप्स के लिए सख्त नियम
NPCI ने बैंकों और PSPs (Paytm, PhonePe, Google Pay आदि) को API उपयोग की निगरानी करने का आदेश दिया है। नियम तोड़ने वालों पर जुर्माना, उपयोग प्रतिबंध, या नए यूजर्स जोड़ने पर रोक लग सकती है। सभी PSPs को 31 अगस्त तक सिस्टम ऑडिट की अंडरटेकिंग जमा करनी होगी। साथ ही, बैंकों को CERT-In द्वारा सूचीबद्ध ऑडिटरों से एनुअल सिस्टम ऑडिट करवाना होगा, जिसकी पहली रिपोर्ट भी 31 अगस्त तक देनी होगी।
इन नियमों का मकसद क्या है?
NPCI का कहना है कि ये बदलाव UPI सिस्टम को स्टेबल और सेफ बनाने के लिए हैं। UPI पर हर दिन करोड़ों ट्रांजैक्शन्स होते हैं, और पीक आवर्स (जैसे सुबह 9-11 बजे) में सिस्टम पर भारी लोड पड़ता है। बार-बार बैलेंस चेक और स्टेटस रिक्वेस्ट्स से सिस्टम स्लो हो जाता है। नए नियम इस लोड को कम करेंगे और ट्रांजैक्शन्स को तेज करेंगे। साथ ही, सख्त API नियमों से हैकिंग और डेटा चोरी का खतरा भी कम होगा।
यूजर्स पर क्या असर होगा?
ये नियम UPI को सुरक्षित बनाएंगे, लेकिन कुछ यूजर्स को परेशानी हो सकती है:
- बार-बार बैलेंस चेक करने वाले: दुकानदार, छोटे कारोबारी, या ऑटोपे यूजर्स को 50 बार की लिमिट से दिक्कत हो सकती है।
- पेमेंट स्टेटस में देरी: 90 सेकंड का इंतजार और 3 बार की लिमिट से स्टेटस चेक में समय लगेगा।
- लिंक्ड अकाउंट चेक: 25 बार की लिमिट उन यूजर्स को प्रभावित करेगी जो कई अकाउंट्स मैनेज करते हैं।
- ऑटोपे यूजर्स: बिल पेमेंट्स या सब्सक्रिप्शन्स के लिए ऑटोपे यूज करने वालों को सेटिंग्स चेक करनी पड़ सकती हैं।
क्या करें यूजर्स?
- बैलेंस चेक कम करें: जरूरत पड़ने पर ही बैलेंस चेक करें, या बैंक ऐप का इस्तेमाल करें।
- UPI ऐप्स अपडेट रखें: Paytm, PhonePe, Google Pay जैसे ऐप्स को लेटेस्ट वर्जन पर रखें।
- ट्रांजैक्शन स्टेटस धैर्य से चेक करें: 90 सेकंड बाद स्टेटस चेक करें।
- बैंक से संपर्क करें: अगर ऑटोपे या API से दिक्कत हो, तो बैंक से सलाह लें।
- ऑडिट की जानकारी: नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए अपने UPI ऐप की सिक्योरिटी पॉलिसी चेक करें।
अंत में
NPCI के नए UPI नियम 1 अगस्त 2025 से लागू होंगे, जो सिस्टम को फास्ट और सेफ बनाएंगे। बैलेंस चेक, पेमेंट स्टेटस, और लिंक्ड अकाउंट चेक पर लिमिट से कुछ यूजर्स को परेशानी हो सकती है, लेकिन यह सिक्योरिटी के लिए जरूरी है। अगर आप UPI यूज करते हैं, तो इन नियमों को समझें और अपनी आदतों में छोटे बदलाव करें। UPI के साथ सेफ और आसान पेमेंट्स का मजा लें!