पीरियड्स जिसे लोग माहवारी या मासिक धर्म कहते हैं, हर लड़की और महिला की जिंदगी का एक खास हिस्सा है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है, जो शरीर को माँ बनने के लिए तैयार करती है। लेकिन इसके साथ ढेर सारे सवाल भी आते हैं। पीरियड्स क्यों आते हैं? इनकी सही उम्र क्या है? इन्हें लाने या रोकने के तरीके क्या हैं? और क्या पीरियड्स में पूजा करना ठीक है? हमारे समाज में पीरियड्स को लेकर कई गलतफहमियाँ हैं। इस आर्टिकल में हम इन सभी सवालों के जवाब आपको समझाएँगे।
पीरियड्स क्यों आते हैं?
पीरियड्स एक नेचुरल प्रोसेस है, जो हर लड़की के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से होती है। जब कोई लड़की यौवन (प्यूबर्टी) में कदम रखती है, जब लड़की प्यूबर्टी (यौवन) की उम्र में पहुंचती है, तो उसके शरीर में ओवरी (अंडाशय) एक्टिव हो जाती हैं। हर महीने ओवरी एक अंडा (एग) रिलीज करती है, जिसे ओव्यूलेशन कहते हैं। इस दौरान गर्भाशय की परत मोटी हो जाती है, ताकि अगर अंडा निषेचित (फर्टिलाइज) हो जाए, तो गर्भ ठहर सके।
लेकिन अगर अंडा निषेचित नहीं होता, यानी प्रेगनेंसी नहीं होती, तो गर्भाशय की यह परत टूटकर ब्लड और टिशूज के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है। इसे ही मासिक धर्म या पीरियड्स कहते हैं।यह सब एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स की वजह से होता है। पीरियड्स का आना इस बात का सबूत है कि आपका शरीर हेल्दी है और बच्चा पैदा करने के लिए तैयार है। इसे शर्म की नहीं, गर्व की बात मानना चाहिए।
पीरियड आने की सही उम्र क्या है?
आमतौर पर लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत 9 से 15 साल की उम्र के बीच होती है। ज्यादातर लड़कियों को पहला पीरियड 12 से 13 साल की उम्र में आता है। लेकिन यह उम्र हर लड़की के लिए अलग हो सकती है, क्योंकि यह शरीर, हार्मोन, जेनेटिक्स, और खान-पान पर डिपेंड करता है।
अगर किसी लड़की को 15 साल की उम्र तक पीरियड शुरू नहीं होता, तो यह चिंता का कारण हो सकता है। इसे प्राइमरी एमेनोरिया कहते हैं। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। कई बार स्ट्रेस, खराब खान-पान, या हार्मोनल इंबैलेंस की वजह से पीरियड्स देर से शुरू हो सकते हैं। वहीं, अगर पीरियड्स 9 साल से पहले शुरू हो जाएं, तो इसे प्रीमेच्योर मेनार्की कहते हैं, और इसकी भी जांच जरूरी है।
पीरियड लाने का उपाय
कई बार पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, यानी समय पर नहीं आते। इसके पीछे स्ट्रेस, हार्मोनल इंबैलेंस, वजन का ज्यादा या कम होना, थायरॉइड, या PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) जैसी प्रोब्लेम्स हो सकती हैं। अगर आप पीरियड्स लाने के लिए नेचुरल तरीके आजमाना चाहते हैं, तो ये उपाय आपकी मदद कर सकते हैं:
- खान-पान में सुधार – पपीता, अदरक, अनानास, और तिल के बीज जैसे फ़ूड इंग्रेडिएंट्स पीरियड्स लाने में मदद कर सकते हैं। अदरक वाली चाय पीना भी फायदेमंद है।
- स्ट्रेस कम करें – योग, मेडिटेशन, और गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज स्ट्रेस को कम करके हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करती हैं।
- वजन का ध्यान रखें – ज्यादा मोटापा या कम वजन पीरियड्स को प्रभावित कर सकता है। हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज से वजन संतुलित करें।
- घरेलू नुस्खे – हल्दी वाला दूध, गुड़, और अजवाइन का पानी पीने से भी पीरियड्स नियमित हो सकते हैं।
लेकिन अगर ये उपाय काम न करें, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। कई बार हार्मोनल ट्रीटमेंट या दवाओं की जरूरत पड़ती है।
पीरियड रोकने की दवा
कई बार जरूरी काम, शादी, या धार्मिक आयोजनों की वजह से कुछ महिलाएं पीरियड्स को रोकना चाहती हैं। इसके लिए दवाएं मौजूद हैं, लेकिन इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए।
नॉरएथिस्टेरोन टैबलेट – यह सबसे आम दवा है, जो पीरियड्स को टालने के लिए दी जाती है। इसे पीरियड शुरू होने से 3-4 दिन पहले लेना शुरू करना होता है।
बर्थ कंट्रोल पिल्स – कुछ हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां भी पीरियड्स को टालने में मदद करती हैं।
लेकिन इन दवाओं का इस्तेमाल लंबे समय तक करना सही नहीं है। इससे साइड इफेक्ट्स जैसे सिरदर्द, मूड स्विंग्स, या हार्मोनल इंबैलेंस हो सकता है। डॉक्टर से सलाह लेकर ही इनका इस्तेमाल करें।
पीरियड्स कितने दिन तक रहता है?
पीरियड्स का समय हर महिला के लिए अलग हो सकता है। आमतौर पर यह 3 से 7 दिन तक रहती है। ज्यादातर महिलाओं में यह 4-5 दिन की होती है।
- पहले 2-3 दिन – खून का बहना ज्यादा होता है।
- 4-5 दिन – खून धीरे-धीरे कम हो जाता है।
- 7 दिन से ज्यादा – अगर पीरियड्स 7 दिन से ज्यादा चले या बहुत ज्यादा खून आए, तो यह मेनोरेजिया (हैवी ब्लीडिंग) के सिंपटम्स हो सकते हैं।
- 2 दिन से कम – अगर पीरियड्स बहुत कम समय तक रहे, तो यह हार्मोनल इंबैलेंस का संकेत हो सकता है।
पीरियड्स साईकल आमतौर पर 21 से 35 दिन का होता है। अगर चक्र बहुत छोटा (20 दिन से कम) या बहुत लंबा (35 दिन से ज्यादा) हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
क्या पीरियड में पूजा कर सकते हैं?
यह सवाल इंडियन सोसाइटी में बहुत कॉमन है। पारंपरिक रूप से, कई जगहों पर माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को मंदिर में नहीं जाना चाहिए या पूजा नहीं करनी चाहिए। इसे अपवित्रता से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन यह सिर्फ एक रिवाज है, और इसका कोई साइंटिफिक रीज़न नहीं है।
आजकल बहुत से लोग इस सोच को बदल रहे हैं। कई धार्मिक गुरुओं और विद्वानों का कहना है कि पीरियड्स एक नेचुरल प्रोसेस है, और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर आप पूजा करना चाहती हैं, तो यह आपकी व्यक्तिगत आस्था और विश्वास पर निर्भर करता है।
क्या करें?
- अगर आपके परिवार या समाज की परंपराएँ पूजा न करने की सलाह देती हैं, तो उसका सम्मान करें।
- अगर आप पूजा करना चाहती हैं, तो साफ-सफाई रखकर और मन से पूजा करें।
- पीरियड्स को शर्म की चीज न मानें। इसे लेकर खुलकर बात करें और अवेयरनेस फैलाएँ।
पीरियड्स के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
पीरियड्स के दौरान साफ-सफाई और सेहत का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। यहाँ कुछ आसान टिप्स हैं:
- साफ-सफाई: हर 4-6 घंटे में सैनिटरी पैड, टैम्पोन, या मेनस्ट्रुअल कप बदलें। गुप्तांगों को साफ पानी और हल्के साबुन से धोएँ।
- पानी पिएँ: ढेर सारा पानी पीने से डिहाइड्रेशन और दर्द कम होता है।
- खानपान: आयरन और विटामिन से भरपूर चीजें, जैसे पालक, अनार, गुड़, और दालें, खाएँ।
- दर्द में राहत: ज्यादा दर्द हो, तो हॉट वॉटर बैग से सिकाई करें। हल्का योग या स्ट्रेचिंग भी मदद करता है।
- डॉक्टर की सलाह: अगर दर्द बहुत ज्यादा हो, ब्लीडिंग असामान्य हो, या चक्कर आएँ, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
पीरियड्स से जुड़े मिथ और सच
पीरियड्स को लेकर कई गलत धारणाएँ हैं। आइए, कुछ मिथ और उनकी सच्चाई जानें:
- मिथ: पीरियड्स में बाल धोने से सिरदर्द होता है।
सच: बाल धोने का सिरदर्द से कोई लेना-देना नहीं। साफ-सफाई रखना जरूरी है। - मिथ: पीरियड्स में खट्टा खाने से ब्लीडिंग बढ़ती है।
सच: खट्टा खाना ब्लीडिंग को प्रभावित नहीं करता, लेकिन ज्यादा मसालेदार खाना पेट में जलन पैदा कर सकता है। - मिथ: पीरियड्स में कसरत नहीं करनी चाहिए।
सच: हल्की कसरत, जैसे योग या टहलना, दर्द और स्ट्रेस को कम करती है।