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पहलगाम आतंकी हमले में धर्म पूछकर हत्याएं: 28 की मौत, 17 घायल, प्रोफेसर ने कलमा पढ़कर बचाई जान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जबकि 17 अन्य घायल हो गए। आतंकियों ने टूरिस्ट्स से उनका धर्म पूछकर और कलमा पढ़ने की मांग करके गोलियां बरसाईं। मौका-ए-वारदात...

पहलगाम आतंकी हमले में धर्म पूछकर हत्याएं: 28 की मौत, 17 घायल, प्रोफेसर ने कलमा पढ़कर बचाई जान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की जान चली गई, जबकि 17 अन्य घायल हो गए। आतंकियों ने टूरिस्ट्स से उनका धर्म पूछकर और कलमा पढ़ने की मांग करके गोलियां बरसाईं। मौका-ए-वारदात पर मौजूद लोगों के अनुसार, जिन लोगों ने कलमा पढ़ा, उन्हें छोड़ दिया गया, जबकि न पढ़ पाने वालों को निशाना बनाया गया। इस हमले में असम यूनिवर्सिटी के बंगाली विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य ने कलमा पढ़कर अपनी जान बचाई।

प्रोफेसर भट्टाचार्य का खौफनाक एक्सपीरियंस

देबाशीष भट्टाचार्य उस समय अपने परिवार के साथ पहलगाम की बेसरन घाटी में थे। ‘आज का सच’ को उन्होंने बताया कि वे एक पेड़ के नीचे लेटे थे, जब उन्होंने आसपास के लोगों को डर से कलमा पढ़ते सुना। डर के मारे उन्होंने भी कलमा पढ़ना शुरू कर दिया। तभी एक आतंकी उनके पास आया और उनके बगल में लेटे एक व्यक्ति के सिर में गोली मार दी। आतंकी ने भट्टाचार्य से पूछा, “क्या कर रहे हो?” डर में उन्होंने और तेजी से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया, जिसके बाद आतंकी वहां से चला गया। मौका पाकर भट्टाचार्य अपनी पत्नी और बेटे के साथ छिपते हुए निकल गए। करीब दो घंटे तक घोड़ों के पैरों के निशान का पीछा करते हुए वे अपने होटल पहुंचे। भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि मैं जिंदा हूं।”

पुणे के कारोबारी की बेटी का दर्द 

पुणे की 26 वर्षीय असावरी जगदाले ने भी इस हमले का भयानक एक्सपीरियंस शेयर किया है। उनके पिता संतोष जगदाले और चाचा कौस्तुभ गणबोटे को आतंकियों ने मार डाला। असावरी ने ‘आज का सच’ को बताया कि आतंकियों ने बेसरन घाटी, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है, में उनके पिता से इस्लाम की आयत (संभवतः कलमा) पढ़ने को कहा। जब वे नहीं पढ़ पाए, तो आतंकियों ने उनके सिर, कान के पीछे और पीठ में तीन गोलियां मार दीं। असावरी ने बताया कि आतंकियों ने उनके चाचा को भी कई गोलियां मारीं। इस हमले में आतंकियों ने खास तौर पर मेल टूरिस्ट्स को निशाना बनाया और धर्म पूछकर गोलीबारी की।

हमले की भयावहता 

यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी का सबसे घातक आतंकी हमला है। आतंकी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इसकी जिम्मेदारी ली है। आतंकियों ने मिलट्री यूनिफॉर्म पहनकर हमला किया और 40 मिनट तक गोलियां बरसाईं। कई चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने पहले लोगों से उनके नाम और धर्म पूछे, और जो कलमा नहीं पढ़ सके, उन्हें गोली मार दी गई।

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